Saturday, June 15, 2024

उर्दू बह्र पर एक बातचीत : क़िस्त 91:: बह्र और वज़न दिखाने का सही तरीक़ा [क़िस्त 02 अन्तिम]

क़िस्त 91: : बह्र और वज़न दिखाने का सही तरीक़ा [क़िस्त 02]

[ पिछली क़िस्त 90 [ क़िस्त01] में ग़ज़ल या शे’र के बह्र/वज़न दिखाने के सही तरीक़े पर चर्चा कर रहा था। उसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए----]
अरूज़ बहुत ही आसान और रोचक विषय हैअगर इसे विधिवत और ध्यान से पढ़ा जाए, धैर्य और लगन से समझा जाए। ख़ैर।
ग़ज़ल में बह्र या वज़न दिखाने का सही तरीक़ा A---B---C---D फ़ार्मेट में ही होना चाहिए । मगर कुछ लोग इसे A/B/C/D रूप में या फिर ABCD without any space or spacing format में भी दिखाते है।
यह सच है कहीं लिखा हुआ नही है कि कैसे दिखाना है। यह व्यक्तिगत रूचि का प्रश्न है। मैं व्यक्तिगत रूप से A---B---C---D रूप में ही दिखाना पसन्द करता हूँ जिससे रुक्न/अर्कान की स्पष्टता, सुपाठ्य और समझ बनी रहे।
A---B---C---D क्या हैं ? बह्र में यह अपने अपने मुक़ाम पर प्रयुक्त मान्य और वैध ’रुक्न’ को प्रदर्शित करते है। मान्य और वैध रुक्न से मेरी मुराद है कि --वह रुक्न जो अरूज़ के नियमों से बने हों । यह सालिम रुक्न [ जैसे 122, या 212 या 1222 या 2122 या 2212 आदि] हो सकते हैं या फिर कोई मुज़ाहिफ़ रुक्न [ वह रुक्न जो सालिम रुक्न पर ज़िहाफ़ लगाने से बरामद होते हैं ]
यहाँ कुछ मुज़ाहिफ़ रुक्न आप की जानकारी के लिए लिख रहा हूँ । नाम आप बताइएगा।
222
21
22
2121
2112
2
1221
1212
121
1122
ऐसे ही और कुछ मुज़ाहिफ़ रुक्न --जो सालिम रुक्न पर ज़िहाफ़ के अमल से बनते है । ज़िहाफ़ात --खुद में एक विस्तॄत विषय है जिसकी यहाँ चर्चा नहीं की जा सकती।
यदि आप इच्छुक हों तो मेरे ब्लाग www.arooz.co.in पर देख सकते हैं।
अत: यह स्पष्ट है कि A-B-C-D ्के मुक़ाम पर कोई न कोई रुक्न ही होगा जो मान्य भी होगा और वैध भी होगा जो अरूज़ के नियमों से बना भी होगा।
अपने मन से या मनमानी तरीके से वज़न 1. या 2 के combination or permutation का कुछ भी नहीं लिख सकते।
उदाहरण के लिए--एक बह्र है
1212--1122--1212--22 इसे आप पहचानते होंगे और शायद नाम भी जानते होंगे। अगर नहीं तो गूगल पर खोजिएगा --मिल जाएगा। अगर इसको हम ऐसे लिख दें -121211-22-121-222 --तो कैसा रहेगा?
या ऐसे लिख दें-12121122121222 तो कैसा रहेगा ? बिलकुल ’CONFUSIVE ’ रहेगा। कुछ भी स्पष्ट न होगा। अच्छे खासे मानूस बह्र की शक्ल ही बिगड़ जाएगी।
अत: इस बहर को
1212--1122--1212--22 फ़ार्म में लिखें तो पता चलेगा कि
-A-के मुक़ाम पर कौन सा रुक्न है [ मुज़ाहिफ़ रुक्न है कि सालिम रुक्न ] और यह रुक्न बना तो कैसे बना?ऐसे ही -B, C. D--मुक़ाम के अर्कान की हैसियत क्या है ? सदर/इब्तिदा के मुक़ाम पर कौन सा रुक्न है --हस्व के मुक़ाम पर कौन सा रुक्न है या अरूज़/ज़र्ब के मुक़ाम पर कौन सा रुक्न है -पता चलता रहेगा।
ध्यान रहे, यह मात्र एक सलाह है। मानने न मानने की कोई बाध्यता नही ।मरजी आप की । बिना इसके भी आप की शायरी कर सकते हैं। कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा।
उर्दू में यह प्रश्न नहीं उठता --वो लोग रुक्न के नाम से ही बह्र का नाम लिखते है [ जैसे फ़ाइलुन, मुसतफ़लुन,, मुतफ़ाइलुन---वग़ैरह वग़ैरह।
समस्या हिंदी ग़ज़ल में अर्कान 1 और 2 की कम्बिनेशन में दिखाने की है।
शेष अगले क़िस्त 92 में [--जारी है]----
सादर
-आनन्द.पाठक-
Edited on 16-06-24


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