Wednesday, December 11, 2024

उर्दू बह्र पर एक बार्तचीत :क़िस्त 112 : सबब-ए-ख़फ़ीफ़ पर लगने वाले 3- riders/ restrictions

 क़िस्त 112 : सबब-ए-ख़फ़ीफ़ पर लगने वाले 3- riders/ restrictions

अरब के  अरुजियों ने सालिम अर्कान पर ज़िहाफ़ात के अमल के संदर्भ में कुछ rider/restriction लगा रखे हैं ।  ऐसे ही 3- rider/restriction जो सबब-ए-ख़फ़ीफ़ पर

लगा रखे हैं वो हैं_

1- मुआ’कब:

2- मुरक़ब:

3- मुकानफ़:

 अरूज़ की किताबों में इन - rider/restriction  कम ही चर्चा हुई है ।आज इन्ही राइडर पर बात करेंगे।

1- मुआ’क़ब: = 

जब किसी एक सालिम रुक्न में या दो adjacent  सालिम रुक्न में , दो consecutive  सबब-ए-ख़फ़ीफ़ एक साथ [ यानी एक के बाद एक ] आ जाए तो --उस स्थिति में-

या तो किसी एक सबब पर उचित ज़िहाफ़ लगेगा या  फिर किसी पर भी उचित  ज़िहाफ़ नहीं लगेगा। दूसरे शब्दों में दोनो सबब-ए-ख़फ़ीफ़  पर एक साथ ज़िहाफ़ का अमल नहीं

होगा। यही मुआ’कब: है।

ऐसी स्थिति 9- बहूर में आ सकती है-

1- तवील

2- मदीद

3- वाफ़िर

4- कामिल

5- हज़ज

6-रमल

7- मुन्सरिह

8- ख़फ़ीफ़

9- मुज्तस


यह राइडर --किसी शे’र में 4 या 5- मुतहर्रिक हर्फ़ को एक साथ आ जाने से रोकता है । किसी  शे’र में 4 या 5 मुतहर्रिक का एक साथ आ जाना अच्छा नहीं माना जाता।   

साथ ही इसका एक उद्देश्य यह भी होता है कि बह्र में कोई भ्र्म न उत्पन्न हो जाए ।


2- मुरक़्कब: =

यदि किसी ’एकल’ रुक्न [ यानी एक ही सालिम रुक्न में ] दो सबब-ए-खफ़ीफ़ आस-पास [  consecutive  ] एक साथ आ जाए तो --

--उसमे से किसी एक सबब पर एक उचित ज़िहाफ़ लगना ही लगना है।

ऐसी स्थिति बह्र-ए-मुज़ारे और बह्र-ए-मुक़्तज़िब में पाई जा सकती है।

3- मुकानफ़:

यह भी सबब-ए-ख़फ़ीफ़ से ही संबधित है।

यदि किसी एक ही रुक्न में दो सबब-ए-ख़फ़ीफ़ आ जाए तो -

-- या तो एक सबब पर ज़िहाफ़ लग सकता है 

--या दोनो सबब पर ज़िहाफ़ लग सकता है 

--या फ़िर किसी पर ज़िहाफ़ नहीं लगेगा । 


ऐसी स्थिति निम्न लिखित बह्र में आ सकती है

बसीत

रज़ज

सरीअ;

मुन्सरिह 


हालां कि इन सब बातों का बहुत कम ज़िक्र अरूज़ की किताबों में मिलता है फिर भी इन-- rider/restriction   का ख़याल [ पास] रखा जाए तो बेहतर।

सादर

-आनन्द.पाठक- 


-नोट -आप लोगों से अनुरोध है कि अगर कहीं कुछ ग़लत बयानी हो गई हो तो निशानदिही  ज़रूर फ़र्माएँ   कि मैं आइन्दा ख़ुद को दुरुस्त कर सकूं~।






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Tuesday, December 10, 2024

उर्दू बह्र पर एक बातचीत : क़िस्त 111 : एक सवाल : क्या 1212---1122---1122---112 बह्र हो सकती है ?

 एक सवाल  : क्या 1212--1122---1122--112 बह्र हो सकती है ?

मेरे एक मित्र ने एक सवाल पूछा था कि
[A] यदि 1212---1122---1212----112 एक बह्र हो सकती है तो
[B} 1212---1122----1122-----112 बह्र क्यों नही हो सकती ?
अरूज़ के लिहाज़ से बह्र [B] नहीं हो सकती ।

दरअस्ल बह्र[A] एक नियमित बह्र है जो अरूज़ के नियमों के अनुसार बनती है और यह बह्र, बह्र ए मुज्तस की एक मुसम्मन मुज़ाहिफ़ शकल है
और इसका नाम है बह्र-ए-मुज्तस मुसम्मन मख़्बून महज़ूफ़
यानी 1212---1122---1212---112  एक नियमित बह्र है।|
बह्र मुज्तस का बुनियादी रुक्न होता है-
[ 2212---2122]
यानी मुस तफ़अ’ लुन --फ़ाइलातुन यानी
मुज्तस की मुसम्मन शकल होती है:- 2212---2122----2212---2122
[ मुस तफ़अ’ इलुन---फ़ाइलातुन--- मुस तफ़अ’ इलुन--फ़ाइलातुन ]
2212 + ख़ब्न = मख़्बून = 1212
2122 + ख़ब्न = मख़्बून =1122
2122 + ख़ब्न + हज़्फ़ = महज़ूफ़ 112
अत: मुज्तस बह्र की मुज़ाहिफ़ शकल हो गई 1212---1122---1212---112 यानी बह्र [A] जो सवाल में है।
मगर
2212== मुस तफ़अ’ लुन/ मुसतफ़इलुन = बह्र रजज़ का बुनियादी रुक्न है
2212 में लिखने के दो रूप है--
एक तो मुतस्सिल शक्ल = जिसे मुस तफ़ इलुन= 2 2 12 [ सबब+सबब+ वतद -ए- मज्मुआ ] कर के लिखते है
दूसरा मफ़रूक शक्ल =जिसे मुस तफ़अ लुन = 2 21 2 [ सबब+ वतद मफ़्रूक + सबब ] कर के लिखते है।
अगरचे दोनों ही केस मे वज़न और तलफ़्फ़ुज़ समान ही रहता है मगर
रजज़ में मुतस्सिल शकल ही प्रयोग होती है यानी मुस तफ़ इलुन =22 12 जब कि मुज्तस वाली बह्र मे मफ़रुक वाली शकल [ 2 21 2 ] इस्तेमाल की जाती है।
और मुज्तस की इस शक्ल में वही ज़िहाफ़ लगते है जो वतद-ए-मफ़रुक वाली शकल पर लगते है और इस श्रेणी में ऐसा कोई ज़िहाफ़ नहीं है जो
2212 [ मफ़रुक ] को 1122 कर सके 
इसीलिए बह्र [ब] नहीं बनती है । नहीं बन सकती।
एक बात और
मुस तफ़अ लुन [ 2 21 2 ] रुक्न में ’ मुआ’कब: भी है । मुआकब: को एक rider/ restriction समझ लें रुक्न के लिए।
इन rider/ restriction पर फिर कभी बात/ चर्चा करेंगे ।
नोट -आप लोगों से अनुरोध है कि अगर कहीं कुछ ग़लत बयानी हो गई हो तो निशानदिही ज़रूर फ़र्माएँ कि मैं आइन्दा ख़ुद को दुरुस्त कर सकूं~।
्सादर
-आनन्द पाठक