क़िस्त 112 : सबब-ए-ख़फ़ीफ़ पर लगने वाले 3- riders/ restrictions
अरब के अरुजियों ने सालिम अर्कान पर ज़िहाफ़ात के अमल के संदर्भ में कुछ rider/restriction लगा रखे हैं । ऐसे ही 3- rider/restriction जो सबब-ए-ख़फ़ीफ़ पर
लगा रखे हैं वो हैं_
1- मुआ’कब:
2- मुरक़ब:
3- मुकानफ़:
अरूज़ की किताबों में इन - rider/restriction कम ही चर्चा हुई है ।आज इन्ही राइडर पर बात करेंगे।
1- मुआ’क़ब: =
जब किसी एक सालिम रुक्न में या दो adjacent सालिम रुक्न में , दो consecutive सबब-ए-ख़फ़ीफ़ एक साथ [ यानी एक के बाद एक ] आ जाए तो --उस स्थिति में-
या तो किसी एक सबब पर उचित ज़िहाफ़ लगेगा या फिर किसी पर भी उचित ज़िहाफ़ नहीं लगेगा। दूसरे शब्दों में दोनो सबब-ए-ख़फ़ीफ़ पर एक साथ ज़िहाफ़ का अमल नहीं
होगा। यही मुआ’कब: है।
ऐसी स्थिति 9- बहूर में आ सकती है-
1- तवील
2- मदीद
3- वाफ़िर
4- कामिल
5- हज़ज
6-रमल
7- मुन्सरिह
8- ख़फ़ीफ़
9- मुज्तस
यह राइडर --किसी शे’र में 4 या 5- मुतहर्रिक हर्फ़ को एक साथ आ जाने से रोकता है । किसी शे’र में 4 या 5 मुतहर्रिक का एक साथ आ जाना अच्छा नहीं माना जाता।
साथ ही इसका एक उद्देश्य यह भी होता है कि बह्र में कोई भ्र्म न उत्पन्न हो जाए ।
2- मुरक़्कब: =
यदि किसी ’एकल’ रुक्न [ यानी एक ही सालिम रुक्न में ] दो सबब-ए-खफ़ीफ़ आस-पास [ consecutive ] एक साथ आ जाए तो --
--उसमे से किसी एक सबब पर एक उचित ज़िहाफ़ लगना ही लगना है।
ऐसी स्थिति बह्र-ए-मुज़ारे और बह्र-ए-मुक़्तज़िब में पाई जा सकती है।
3- मुकानफ़:
यह भी सबब-ए-ख़फ़ीफ़ से ही संबधित है।
यदि किसी एक ही रुक्न में दो सबब-ए-ख़फ़ीफ़ आ जाए तो -
-- या तो एक सबब पर ज़िहाफ़ लग सकता है
--या दोनो सबब पर ज़िहाफ़ लग सकता है
--या फ़िर किसी पर ज़िहाफ़ नहीं लगेगा ।
ऐसी स्थिति निम्न लिखित बह्र में आ सकती है
बसीत
रज़ज
सरीअ;
मुन्सरिह
हालां कि इन सब बातों का बहुत कम ज़िक्र अरूज़ की किताबों में मिलता है फिर भी इन-- rider/restriction का ख़याल [ पास] रखा जाए तो बेहतर।
सादर
-आनन्द.पाठक-
-नोट -आप लोगों से अनुरोध है कि अगर कहीं कुछ ग़लत बयानी हो गई हो तो निशानदिही ज़रूर फ़र्माएँ कि मैं आइन्दा ख़ुद को दुरुस्त कर सकूं~।
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