Friday, January 17, 2025

उर्दू बह्र पर एक बातचीत : किस्त 114: शायद आप जानते होंगे

उर्दू बह्र पर एक बातचीत : किस्त 114: शायद आप जानते होंगे---


हिंदी ग़ज़ल में जिसे आप ’मापनी’ कहते हैं, उसे अरबी [उर्दू] में फ़े’ल [ फ़े-ए’न- लाम][ف—-‏‏ع--ل जिसके पर्यायवाची अफ़ाइल--तफ़ाइल--रुक्न[अर्कान] --वज़्न [औजान]-मीज़ान-आदि भी कहते हैं
वैसे तो "फ़ेअ’ल" का लगवी मा’ने तो क्रिया [Verb] होता है मगर अरूज़ के लिहाज़ से इसका कोई अर्थ नहीं होता |इसे बस मात्रा भार वज़न दर्शाने दिखाने के लिए प्रयोग करते हैं।
जितने भी सालिम फ़े’ल [ मापनी] है जैसे
फ़ऊलुन[122]-फ़ाइलुन [212]-मफ़ाईलुन[1222] --फ़ाइलातुन [ 2122]-मुसतफ़इलुन [2212] मफ़ऊलातु [2221]-मुतफ़ाइलुन [11212]-मुफ़ाइलतुन [12112]
अगर आप इनकी वर्तनी [spelling. हिज्जे] ग़ौर से देखेंगे तो सबमें [फ़े-ए’न-लाम ] ف—-‏‏ع--ل में से कम से "दो हर्फ़" ज़रूर मिलेंगे।

कभी कभी सालिम फ़े’ल पर ज़िहाफ़ लगाने से इसकी शक्ल [वज़न] बदल जाती है। इस बदली शकल [ मुज़ाहिफ़ शकल] को किसी ऐसे मानूस [जानी पहचानी] फ़े’ल से बदल लेते है जिसमें फिर [ फ़े-एन-लाम [ف—-‏‏ع--ل में से कम से कम दो हर्फ़ ज़रूर होता है।
जैसे-फ़ालुन [22]---मफ़ऊलुन [222]---मफ़ऊलु[221]--फ़ाइलातु [2121] वग़ैरह
सादर
-आनन्द.पाठक-

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