उर्दू बह्र पर एक बातचीत : क़िस्त 119 : यह बह्र 221---1222--22// 221---1222---22 ?
किसी मंच पर मेरे एक मित्र ने एक सवाल किया था--
221---1222--22 // 221---122--22
यह कौन सी बहर है? इसका क्या नाम है?
उनका आदेश हुआ कि इस पर कुछ अपने विचार रखूँ।
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अगर्चे उसी मंच की एक माननीया सदस्या ने इसे बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसम्मन मुज़ाफ़ और वज़न
फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन
22 22 22 22 22 22 22 22
बताया।
मेरे हिसाब से --वज़न की मात्रा के लिहाज़ से [ यानी 16/16=32 मात्रा भार ] से दिखता तो सही है
मगर अरूज़ की क़वायद के लिहाज़ से मुझे सही नहीं लगा । सो यथा समझ मैं अपने विचार रख रहा हूँ।
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1222---1222---1222
इस बह्र का नाम तो आप जानते होंगे-और पहचानते भी होंगे।
-यानी बह्र-ए-हज़ज मुसद्दस सालिम
अच्छा इस पर अब कूछ ज़िहाफ़ लगाते है देखते हैं ,क्या होता है।
1222+ खर्ब = अख़रब 221
[ ख़र्ब एक ख़ास ज़िहाफ़ है जो शे’र के सदर/इब्तिदा के मुक़ाम पर ही लगते है, जो यहाँ लगा हुआ है
1222 + बतर = अबतर 22
[बतर भी एक ख़ास ज़िहाफ़ है जो ’अरूज़/ज़र्ब ’ के मुक़ाम पर ही लगते है, जो यहाँ लगा हुआ है।
1222---1222---1222 बह्र की शकल हो जाएगी
221---1222---22
यानी
बह्र--ए-हज़ज मुसद्दस अखरब अबतर
अब इसे मुज़ाइफ़ [ दो गुनी ] कर देते हैं यानी
221--1222--22 // 221---1222---22
यानी बह्र--ए-हज़ज मुसद्दस अखरब अबतर मुज़ाइफ़
[ नोट- : इस मंच के असातिज़ा से दस्तबस्ता गुज़ारिश है कि अगर कुछ ग़लत बयानी हो गई हो तो निशानदिही ज़रूर फ़रमाए जिससे यह हक़ीर खुद को दुरुस्त कर सके ।
सादर
-आनन्द.पाठक-