Sunday, April 20, 2025

उर्दू बह्र पर एक बातचीत : क़िस्त 119 : यह बह्र 221---1222--22// 221---1222---22 ?

 उर्दू बह्र पर एक बातचीत : क़िस्त 119 : यह बह्र 221---1222--22// 221---1222---22 ?

किसी  मंच पर मेरे एक मित्र ने एक सवाल किया था--

221---1222--22  // 221---122--22

यह कौन सी बहर है? इसका क्या नाम है?

उनका आदेश हुआ कि इस पर कुछ अपने विचार रखूँ।

---  ------

अगर्चे उसी मंच की एक माननीया सदस्या ने इसे बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसम्मन मुज़ाफ़  और  वज़न

फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन

22 22 22 22 22 22 22 22 

बताया।

मेरे हिसाब से --वज़न की मात्रा के लिहाज़ से [ यानी 16/16=32 मात्रा भार ] से दिखता तो सही है 

मगर अरूज़ की क़वायद के लिहाज़ से मुझे सही नहीं लगा । सो यथा समझ मैं अपने विचार रख रहा हूँ।

----

1222---1222---1222 

इस बह्र का नाम तो आप जानते होंगे-और पहचानते भी होंगे।

-यानी बह्र-ए-हज़ज मुसद्दस सालिम

अच्छा इस पर अब कूछ ज़िहाफ़ लगाते है देखते हैं ,क्या होता है।

1222+ खर्ब = अख़रब 221

[ ख़र्ब एक ख़ास ज़िहाफ़ है जो शे’र के सदर/इब्तिदा के मुक़ाम पर ही लगते है, जो यहाँ लगा हुआ है

 1222 + बतर = अबतर 22 

[बतर भी एक ख़ास ज़िहाफ़ है जो ’अरूज़/ज़र्ब ’ के मुक़ाम पर ही लगते है, जो यहाँ लगा हुआ है।

1222---1222---1222  बह्र की शकल हो जाएगी

221---1222---22

यानी 

बह्र--ए-हज़ज मुसद्दस अखरब अबतर 

अब इसे मुज़ाइफ़ [ दो गुनी ] कर देते हैं यानी

221--1222--22  // 221---1222---22

यानी  बह्र--ए-हज़ज मुसद्दस अखरब अबतर मुज़ाइफ़

[ नोट- : इस मंच के असातिज़ा से दस्तबस्ता गुज़ारिश है कि अगर कुछ ग़लत बयानी हो गई हो तो निशानदिही ज़रूर फ़रमाए जिससे यह हक़ीर खुद को दुरुस्त कर सके ।

सादर

-आनन्द.पाठक-



No comments:

Post a Comment